प्रेम की अभिव्यक्ति - Isha Vidya

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Friday, July 20, 2018

प्रेम की अभिव्यक्ति

|| नारद भक्तिसुत्र ||
प्रकरण २:प्रेम की अभिव्यक्ति
    
🌞 दिन:१२🌞

.....इस तरह से हम आगे बढ़ पाते हैं, भक्ति की तरफ। 
मान लेना है हमें प्यार मिल ही रहा है ताकि हम फिर उसकी तलाश में, उसकी माँग में दु:खी नहीं रहें। 
अकसर आदमी दु:खी है कि हमको कोई प्यार नहीं करता। क्यों नहीं प्यार करता भई ? तुमने यह धारणा कर ली है मन में। 
प्यार की अभिव्यक्ति अलग-अलग तरह की होती है। 
प्यार तो स्वभाव है, स्वरुप है। यदि कोई तुम्हें प्यार न करे, मतलब वे तनाव से भरे हुए हैं। तुमको उनके प्रति करुणा होनी चाहिए। 
प्यार करना स्वाभाविक है;प्यार नहीं करना अस्वाभाविक है। 
और क्यों नहीं करते ? 
अज्ञान की वज़ह से, 
दु:ख की वज़ह से, 
नासमझी की वज़ह से कोई प्रेम नहीं करते। 
उनके प्रति दया होनी चाहिये। है कि नहीं ?
 यहाँ  हर व्यक्ति प्रेम का पुतला हे।
 उसके ऊपर मैल जम गया है। जरा पौंछा लगा दो।  *_अन्याश्रयाणाम् त्याग: अनन्यता_*। 
अनन्य हो जाओ। उसके साथ एक हो जाओ। एकता महसूस करना।
    एकता तभी महसूस करते हैं जब हम दूसरा आश्रय नहीं ढूँढते। 
एक ही आश्रय हो तब हम प्रेम की गहराई में उतर सकते हैं। कई आश्रय हों तो उसमें आश्रित नहीं हैं, हम, जो आश्रित व्यक्ति है वह मुख्य हो जाता है; आश्रय नहीं। 
प्रेम माने आश्रय को प्रधानता देना। 
आश्रित व्यक्ति का मिट जाना प्रेम है। बात समझ में आ रही है? भगवान के लिए हम हों, तो यह भक्ति हुई।
 भगवान को हम इस्तेमाल करें अपने काम के लिए, तो किसकी प्रधानता हुई, भगवान की या हमारी ?
 हमारे लिए हम भगवान को इस्तेमाल करते हैं, जैसे साबून या स्कूटर। कभी भय हुआ तो भगवान को इस्तेमाल कर लिया। कोई दवा है लक्ष्य को ही साधन बना देते हैं। 
जब पहला कदम भूल का होता है तो फिर हर कदम गलत दिशा में जाते हैं। इसको भक्ति नहीं कहते हैं। भगवान भी बहुत बडा़ व्यापारी है।हम क्या करते है, कचरा समय देते है सत्संग के लिए, थर्ड क्लास टाईम, जो किसी काम के लिए नहीं है, वह समय। जब कोई शादी-विवाह नहीं , कोई पार्टी नहीं हो, उस समय सोचते हैं कि सत्संग कर लेते हैं; भगवान का ध्यान कर लेते हैं। थर्ड-क्लास टाईम दोगे तो थर्ड-क्लास ही उसका फल भी मिलेगा।फर्स्ट-क्लास टाईम दो तो फल भी वैसा ही मिलता है। और 'फल'के लिए नहीं समय देना....।
 _अन्याश्रयाणाम् त्याग:_। 
एक पर आश्रित। 
उस पर पूर्ण दृढ़ विश्वास।

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