वृक्षारोपण कार्य महान एक वृक्ष सौ पुत्र समान
नारद भक्ति सूत्र - 72
ऋषियों की दृष्टी - प्रेम के रंग और ढंग
आखिरी सूत्र में कहते हैं महर्षि नारद -
* य इदम् नारदप्रोक्तं शिवानुशासनं विश्वसिति श्रद्धते,
* स भक्तिमान् भवति,
* सः प्रेष्ठं लभते
* सः प्रेष्ठं लभते।
* ૐ तत् सत्।
* ૐ तत् सत्।
यह शिव का अनुशासन है।
यह अभी जो सब बताया है नारद मुनी ने यह सब शिव तत्व से निकला हुआ है।
यह अभी जो सब बताया है नारद मुनी ने यह सब शिव तत्व से निकला हुआ है।
शिव ने ही कहा है- महर्षि नारद नहीं बोले।
जब कोई भक्त या प्रेमी बोलता है, वह नहीं बोलता, उसके भीतर परमात्मा ही बोलता है।
य इदम् नारदप्रोक्तम् जो नारद मुनी ने बतलाया यह शिव का अनुशासन है , शिव शासन है।
इसमें जो विश्वास रखते हैं श्रद्धा रखते हैं - स भक्तिमान भवति
- वह ज़रूर भक्तिमान हो जायेंगे, , महर्षि नारद यह वादा करतें हैं।
जो इसको सुनते हैं, उनके दिल में भक्ति का अंकुर फूटेगा ही, वह सूखा रह ही नहीं सकता।
जिन्होंने भी इस वाणी को सुना, उनके दिल में प्रेम का अंकुर फूटता है, जीवन की ज्योति जागती है।
सः प्रेष्ठं लभते - वे उत्तम गति को प्राप्त होंगे, दुबारा कहते हैं, वे उत्तम गति को प्राप्त होंगे।
वे आगे ही निकलेंगे।
उनके जीवन में कोई कमी नहीं रह सकती।
ૐ तत् सत्।
साँसें हो रही है कम, आओ पेड़ लगाए हम
श्रंखला समाप्त
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