सत्य का अस्तित्व है - Isha Vidya

SPONSOR 2


Saturday, June 2, 2018

सत्य का अस्तित्व है

प्रश्न: गुरूजी, सत्य का अस्तित्व है, फिर उसके प्रमाणीकरण की क्या आवश्यकता है?

श्री श्री रवि शंकरजी : प्रमाण माँगना मन की विशेषता है| भावनाएँ प्रमाण नहीं मांगतीं, मन मांगता है| मन की तसल्ली के लिए, और उसे शांत करने के लिए प्रमाण की ज़रूरत होती है| मगर सिर्फ उसे पकड़ कर रखना भी एक बाधा है| इसीलिए, मन की प्रवृत्तियों में ‘प्रमाण’, ‘विपर्यया’, ‘विकल्प’, ‘निद्रा’, ‘स्मृति’, ये सब प्रवृत्तियां मानी जाती हैं, और इन सबसे अलग होना पड़ता है| इन पर संयम ही योग है| आप प्रमाण को खारिज नहीं कर सकते| क्योंकि जब तक बुद्धि है, वह प्रमाण तो मांगेगी ही| और इसे खारिज करने की ज़रूरत भी नहीं है| बस इसके प्रति सजग हो जाएँ, और आगे बढ़ें|

‘योग बुद्धि परतात्त्व सह’, आत्मा या ईश्वर तत्व बुद्धि के परे है|

No comments:

Post a Comment