प्रश्न: गुरूदेव ये कैसे जाने कि संसार माया है और भ्रम है?
समझने में भूल करना भ्रम है और भ्रम को भ्रम जान लेना ज्ञान है।संसार में हमारे अनुभव हमारी समझ पर निर्भर है। क्योंकि हमारी समझ में त्रुटियाँ है, इसलिए संसार माया है, भ्रम है। सभी अनुभव हमारे अपने दृष्टिकोण से होते हैं। अनुभवकर्ता (दृष्टा) ही एकमात्र सत्य है।
अनुभवों के बीच अनुभवकर्ता और दृष्टा को खोजो। प्रत्येक अनुभव हमारे भीतर एक छाप छोड़ देता है, जिससे हमारी बुद्धि ढक जाती है। इसी क्षण जागो। अपने मस्तिष्क से सभी पुराने अनुभवों को निकाल दो। उस पवित्र आत्मा को देखो जो मैं हूँ, जो तुम हो।
प्रश्न : अनुभव और अनुभवकर्ता में कैसे भेद करें?
क्या तुम सचमुच यहाँ हो? क्या तुम सुन रहे हो? अब आँखे बंद करके देखो - कौन सुन रहा है, प्रश्न कौन कर रहा है, कौन बैठा है और कौन क्या चाहता है; कौन उलझन में है? यही अनुभवकर्ता है।
~श्री श्री रविशंकर
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