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*वृक्षारोपण कार्य महान एक वृक्ष सौ पुत्र समान।*
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*||नारद भक्ति सूत्र||*
*🌹【50】🌹*
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*🌴कल से आगे🌴*
*प्रेम कहाँ और किसमें*
अगला सूत्र-
*भक्ता एकान्तिनो मुख्याः।।*
अच्छा हम दास होते हैं तो कई लोगों के दास हो जाते हैं।
सखा होते हैं, सबके सखा हैं, यह नहीं होता।
पहले तो एक के ही सखा हो जाओ।
*जब तुम एक हो जाओगे, फिर सबके सखा हो जाओगे।*
*जब तक तुम एक के नहीं हुए तब तक एक का ही सखा बनो और एक का ही दास बनो, इसलिए कहते ह*ैं ,
*_अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं ममः_ _तस्मात कारुण्य भावेन रक्ष रक्ष महेश्वरः।*_
जब प्रणाम करते हैं तो कहते हैं,"भगवान मैं सिर्फ़ तेरे शरण में आता हूँ "।
भक्ति में एक दृष्टिकोण , जिसको कहते हैं ना one-pointedness, एकान्तता और अनन्यभाव आवश्यक है, वह मुख्य है। भक्तों में वह और मुख्य है। जिसकी लगन एक तरफ लग गयी, जिसकी दृष्टि इधर-उधर भागने की कोई सम्भावना नहीं है।
_भक्ता एकान्तिनो मुख्याः_।
*कण्ठावरोधरोमाञ्चाश्रुभिः परस्परं लपमानाः पावयन्ति कुलानि पृथिवीं च।।*
जब ऐसा एकमुखी प्रेम होता है तब कण्ठावरोध गला रुँधता है, रोमांच होता है पूरे शरीर में, और आँसू बहते हैं।उसके बारे में बोलने से आँसू बहते हैं। उसकी कथा सुनने से आँसू बहते हैं, उसकी चर्चा में रोमांच होता है।
*यह प्रेम का लक्षण है।*
*यह मुख्य भक्त का , प्रधान भक्त , पूर्ण भक्त का यह लक्षण है। _कण्ठावरोधरोमाञ्चाश्रुभिः परस्परं लपमानाः।_
एक दुसरे को सुनाते जाते हैं उसकी कहानी, उसकी महिमा, एक दुसरे से यही चर्चा करते रहते हैं। _पावयन्ति कुलानि_अपने कुल को भी पवित्र करते हैं। जहाँ जाते हैं वहाँ लोगों के भीतर प्रेम जगाते हैं। उनके मन का मैल धोते हैं और पवित्र करते हुए चलते जाते हैं।
*🌴शेष कल🌴*
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🌲🌴 *साँसें हो रही है कम, आओ पेड़ लगाए हम*🌴🌲
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