प्रश्न : कृपया करके योग माया और उसके अध्यात्मिकता के उपर होने वाले परिणामों के बारे में विस्तार से बताऐं। और हम योग माया को कैसे पहचान सकते हैं और उसके खेल से कैसे दूर रह सकते हैं।
श्री श्री रवि शंकरजी : योगमाया एक तरह का कभी कभी महसूस होनेवाला अध्यात्मिक अनुभव है। यह अंतरज्ञान की तरह होता है और बहुत बार यह अंतरज्ञान का अनुभव सही साबित होता हैं। लेकिन जब आप इसपर बहुत जादा भरोसा रखते है, ध्यान दिजिये मैं कह रहा हुँ बहुत ज्यादा, तो सब बिगडता हैं। और अगर आप सचमुच पुर्णतः खाली और ख़ोकले नही है तो आपकी अपनी इच्छाऐ और महत्वाकांक्षाएं आपको दृष्टिगोचर होंगी, आपको आवाजें सुनाई देंगी।यह सब हो सकता है लेकिन वह वास्तविकता से दूर होगा।
तो योगमाया यह वह छोटी शक्ती, या झलकियाँ, या भास, या अंतरज्ञान से मिलने वाली दृष्टि हैं जो ८० प्रतिशत सही और २० प्रतिशत गलत होती हैं। लेकिन हम ये नही जानते की कौनसा ज्ञान ८० प्रतिशत मे आयेगा और कौनसा २० प्रतिशत मे। तो हम इन अनुभुतियों को जैसे प्रतीत होती है उसी तरह साधारण से लेते हैं।
जय गुरुदेव
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