क्या जीवन को सुचारू रूप से चलाने का और कोई तरीका है - Isha Vidya

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Saturday, June 23, 2018

क्या जीवन को सुचारू रूप से चलाने का और कोई तरीका है

प्रश्न : मनुष्य ऐसी स्थिति में रहते हैं जहां सब कुछ उनके नियंत्रण में नहीं होता है। विश्राम करना, ध्यान करना, या लंबी गहरी सांसें लेना भी उनके लिये संभव नहीं हो पाता है। क्या जीवन को सुचारू रूप से चलाने का और कोई तरीका है?

श्री श्री रवि शंकरजी  : - एक कहावत है कि तुम युद्धक्षेत्र में जाकर तीरंदाज़ी सीखना शुरु नहीं कर सकते हो। तुम्हें युद्ध की स्थिति आने से पहले ही तीरंदाज़ी सीखनी होगी। तो उस क्षण में जब तुम तनाव महसूस करते हो तो तुम कुछ नहीं कर पाते हो, पर उस स्थिति में आने से पहले कुछ ऐसा करो कि तनाव की वो स्थिति आने ही ना पाये। ‘तुम मंच पर जाकर कोई नई ताल नहीं सीख सकते हो,’ हांलाकि मैं इस कहावत को नहीं मानता असल में कुछ भी असंभव नहीं है।

मैं कहूंगा कि अपने बर्ताव को बदलो, अपने खान पान को बदलो, और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलो, अपनी बातचीत की शैली को बदलो, आलोचना से निबटने की क्षमता जगाओ... मोटे तौर पर, जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने से बहुत फ़र्क पड़ता है। परमात्मा से निकटता महसूस करने से तुम्हारी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

तो, मैं तुम्हें कई प्रक्रियायें दूंगा, जिन्हें तुम कर सकते हो – सिर की मालिश, आंखों का व्यायाम, सही भोजन, पैदल घूमने जाना, सूर्यास्त को देखना...शायद कुआला लंपुर में इन ऊंची इमारतों की वजह से सूर्यास्त देखना संभव नहीं हो! प्रकृति के साथ रहें। अफ़सोस है कि आमतौर पर हम बस सोफ़े पर बैठ कर टेलिविज़न देखते हैं, और तुरंता भोजन खाते हैं। इस का असर समाज में नज़र आ रहा है। हमें एक स्वस्थ समाज बनाने के लिये अपनी आदतों को बदलना होगा।

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