प्रश्न : गुरूजी, अनहत नाद क्या होता है? उसे कैसे बनाते हैं और उसके फायदे क्या हैं?
श्री श्री रविशंकरजी : - अनहत नाद का अर्थ ही है, कि जिसे किन्हीं दो चीज़ों से उत्पन्न नहीं किया जा सकता, बल्कि वह स्वतः ही उभरता है| आप ध्यान में गहन जायें, सिर्फ ध्यान में ही उसे कभी कभी सुना जा सकता है| ऐसा ज़रूरी नहीं है, कि हर एक किसी को उसे सुनना चाहिये| किसी को अनहत नाद सुनायी पड़ सकता है, किसी को कोई प्रकाश दिख सकता है, किसी को एक उपस्तिथि महसूस हो सकती है,अलग अलग प्रकार के अनुभव हो सकते हैं|
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