प्रश्न : कर्म या पाप कौन करता है? क्या वो शरीर है या आत्मा ?
और यदि आत्मा पाप करती है तो शरीर को क्यों सहना पड़ता है?
श्री श्री रविशंकरजी : देखो, इन सब बारीकियों और भ्रांतियों में मत जाये| यदि आप इनके बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो अनुसंधान करे ;मैं कौन हूँ? क्या मेरा कर्म है या नहीं? यदि कर्म है तो कहाँ है? यह सब आपको बैठ कर सोचना है |
यदि मैं आपको उत्तर दूंगा, तो वो उत्तर आपको संतुष्ट नहीं करेगा क्योंकि वो बराबर अनुभव के स्तर पर नहीं होगा| इसलिये, यदि आप मुझे सुनेंगे, फिर कुछ दिन बाद आपको कुछ और प्रश्न होंगे तो बार बार आप उसी राह पर रहेंगे| उचित है कि आप मौन में रहें, गहरे ध्यान में जायें, और कुछ प्रश्नों के लिये उत्तर स्वयं ही सहज प्रकट हो जायेंगे |
No comments:
Post a Comment