उपनिषद के कुछ रहस्य - Isha Vidya

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Sunday, July 1, 2018

उपनिषद के कुछ रहस्य

प्रश्न : गुरुदेव,  कृपया हमें उपनिषद के कुछ रहस्य बतायें |

श्री श्री :- उपनिषद का रहस्य है, आप ओम् हैं |

आप का सच्चा नाम ओम् है | जो भी नाम आपका है, वो आप के माता-पिता द्वारा इस जीवन में दिया गया है, परंतु इस जीवनकाल से पहले आप क्या थे ? आपका नाम क्या था ? ओम् | और भविष्य में जब आप इस शरीर को त्याग देंगे तो आप का नाम क्या होने वाला है ? ओम् | 

सब कुछ ओम् से ही उत्पन्न हुआ है, ओम्, वो सार्वलौकिक ध्वनि जोकि हर समय चेतना में गुँजायमान है और हम  सब इसी ध्वनि से ही उत्पन्न हुये हैं और हम इसी में रहते हैं | अब भी, यह यहीं है, हर समय |

जब आप इस देह को त्याग देंगे, तो यह मत सोचिये कि आप इस नाम को अपने साथ ले जायेंगे | आप का नाम इस देह के साथ ही चला जायेगा | परंतु आप जो प्रकाश हैं, जो चेतना हैं, उसका एक ही नाम है, और वो है, ओम्।

यही इस प्रार्थना में कहा गया है, “एक ओंकार (ईश्वर एक है), सतनाम(उसका नाम सत्य है), करता-पुरख(वह रचयिता है), निरभउ(वह निर्भय है), निरवैर( उसका किसी से वैर नहीं है), अकाल-मूरत(वह कभी मरता नहीं), अजूनी सैंभांग ( वह जन्म व मृत्यु से परे है), गुर परसाद(उसे सच्चे गुरु की कृपा से ही पाया जा सकता है), जप (उसका नाम लेते रहें), आदि सच( किसी भी चीज़ की रचना से पूर्व भी वो सत्य है) जुगादि सच (वो हमेशा ही सत्य रहा है), है भी सच(वो अभी भी सत्य है),नानक होसे भी सच(वो भविष्य में भी सच रहेगा)। एक ही ओंकार है, कर्ता, और वो ही उस काल से रचियता है, जब सब कुछ रचा गया था | 

निरभउ का अर्थ है बिना भय के, बिना द्वैत; कोई दो नहीं। यह बेदाग है, पूर्णत: शुद्ध |

आदि सच, जुगादि सच, है भी सच, यह पूर्ण सत्य है; हमारा उद्गम उसी सत्य से है | आदि का अर्थ है

आपका उद्गम ; जहाँ से सब कुछ आया है, या जहाँ से सब कुछ बना है |

हमारा स्रोत सच्चा है, हमारा लक्ष्य सच्चा है और यही सच्चा नाम है, ‘एक ओंकार, सतनाम...’

यही उपनिषदों का सार है और यही उपनिषद कहते हैं |

‘शिवम् शांतम् अद्वैतम् चतुर्थम् मान्यते, सा आत्मा, सा विग्येया:’ |

वो वास्तिवकता जोकि शिवम्, अनंत मौन है; जोकि शांतम्, अनंत शांति है; जोकि अद्वैतम्, अविभक्त है; को ही ‘चतुर्थम्’ कहा गया है | यह चेतना की तीन अवस्थाओं; जागृत, स्वप्न और सुषुप्त, से परे है | यह चौथी आत्मा ही है, जिसे कि जानना है | जो जानने योग्य है, वो चौथी अवस्था है, जो न तो जागृत है, न स्वप्नावस्था है, ना सुषुप्तावस्था है, बल्कि चौथी अवस्था है, जोकि सारी सृष्टि का आधार है | इसे जानना चाहिये, इस पर ध्यान देना चाहिये |


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