प्रश्न : गुरूजी, हमारी हिंदू पुराणों में कहते हैं, कि यह पृथ्वी एक कोबरा के सिर पर टिकी हुई है, और जब वह कोबरा अपना सिर उठाता है, तो पृथ्वी हिल जाती है| इसके पीछे क्या रहस्य है?
श्री श्री रविशंकरजी : :- देखिये, दो तरह के पृथ्वी-बल होते हैं, एक होता है केन्द्राभिमुख बल (सेंटरीपीटल फ़ोर्स) और एक केंद्रत्यागी बल (सेंटरीफ्युग्ल फ़ोर्स)| इन बलों की गति सीधी नहीं होती, बल्कि एक सर्प की तरह होती है| यह तथ्य हमारे पूर्वजों को ज्ञात था| पृथ्वी साँप के सिर पर नहीं टिकी है, लेकिन साँप से उनका अर्थ था, केन्द्राभिमुख बल, और वह जिसे केंद्रत्यागी बल कहते हैं| तो यह तथ्य इन प्रकार उनके द्वारा समझाया गया था| उदाहरण के लिए, भगवान शिव गले में सर्प लिए बैठे हैं,इसका अर्थ है, कि वे गहन ध्यान में हैं, जहाँ उनकी आँखें बंद हैं, जिसका अभिप्राय है कि वे सो रहें हैं; लेकिन वे सो नहीं रहें, अंदर से वे जागरूक हैं| इसे व्यक्त करने के लिए दिखाया गया है, कि शिवजी के गले में एक सर्प लटका हुआ है| नहीं तो क्या कारण है, कि भगवान शिव ने गले में सर्प लटका रखा है? अरे वे तो ब्रह्माण्ड के स्वामी हैं, क्या उन्हें कुछ और नहीं मिला गले में पहनने के लिए? ब्रह्माण्ड के स्वामी चाहें तो अपने गले में अलग अलग तरह के हार पहन सकते हैं, वे एक साँप को गले से क्यों लटकाएंगे? नहीं, हमारे पूर्वजों ने जो भी कुछ कहा, उसके पीछे इतने गहरे रहस्य छुपे हैं|
इसी तरह, पृथ्वी शेष नाग पर टिकी है , नाग मतलब केन्द्राभिमुख बल| एक साँप कभी भी सीधी चाल नहीं चलता, वह घुमावदार तरीके से आगे सरकता है| इसे केन्द्राभिमुख बल कहते हैं| केन्द्राभिमुख बल अर्थात वह जो सीधा नहीं जाता, और पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, और साथ साथ सूरज के चारों ओर चक्कर भी लगाती है| तो ये दो तरह के बल हैं ,केन्द्राभिमुख बल और केंद्रत्यागी बल| इसी को पूर्वजों ने कोबरा के रूप में व्यक्त किया है|
और कोबरा किस पर खड़ा है? वह एक कछुए पर स्थित है, और कछुआ प्रतीक है स्थिरता का| यह बहुत रोचक है!
अब यह भी कहते हैं, कि अगर बृहस्पति (जुपिटर) ग्रह नहीं होता, तो पृथ्वी ग्रह बच नहीं सकती थी| बृहस्पति ग्रह क्या करता है, कि बाहरी अंतरिक्ष से जो भी उल्का आते हैं, ब्रहस्पति उनको अपनी तरफ खींच लेता है, और पृथ्वी की रक्षा करता है| बाहरी अंतरिक्ष से इतने सारे उल्का, छोटी आकाशीय वस्तुएं बरसती रहती हैं और बृहस्पति क्या करता है, उन सबको अपनी ओर खींच लेता है और पृथ्वी को बचाता है|
नासा ने इस बारे में बहुत ही सुन्दर एक प्रस्तुति बनाई है|
हमने कहा था, कि गुरु ही इस पूरे ब्रह्माण्ड के रक्षक हैं| इसलिए, इस ग्रह को भी यही नाम दिया गया, गुरु (जुपिटर) क्योंकि यह पृथ्वी की रक्षा करता है|
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