मैं अच्छा हूं या बुरा - Isha Vidya

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Thursday, April 26, 2018

मैं अच्छा हूं या बुरा


प्रश्न: अगर विपरीत मूल्य एक दूसरे के पूरक होते हैं, तो क्या मैं अच्छा हूं या बुरा, या दोनो ही ?

श्री श्री: तुम अपने आप पर अच्छे या बुरे होने का लेबल क्यों लगाना चाहते हो? लेबल को छोड़ो और सहज हो कर रहो। शांति से रहो। जब हम किसी दुर्गुण को अपना समझते हैं तो हम आत्मग्लानि से भर जाते हैं। जब हम किसी सदगुण को अपना समझते हैं तो हम घमंड से भर जाते हैं। ये दोनों ही स्थितियां मन की अस्वस्थता दिखाती हैं। सदगुण और दुर्गुण, दोनों ही परमात्मा को समर्पित कर दो।

एक समर्पित व्यक्ति अच्छा ही होगा। समर्पण से जीवन केंद्रित और चरित्रवान हो जाता है। इन दोनों के बिना जीवन को दिशा नहीं मिलती।



थोड़ा सा त्याग करने से भी व्यक्ति का व्यक्तित्व खिल उठता है। त्याग के बिना तेज नहीं आता। त्याग से जीवन में लंबा सा दुखी चेहरा लटकाकर नहीं रहना होता। विरक्त आनंद में रहते हैं, जबकि कामी लोग दुख के बोझ से दबे रहते हैं। अपने आप को खाली कर देना, समर्पण है, साधना है।

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